स्ट्रेस मैनेजमेंट

आज के युग में यदि उस बडी समस्या का जिक्र किया जाए जिससे विश्व के हर देश का मानव जूझ रहा है तो यकीनन वह होगा “”तनाव”” फिर चाहे वह देश विकसित हो या विकासशील। ऎसा लगता है मानों ईश्वर के बाद यही सर्वव्याप्त है। घन है तब भी, नहीं है तब भी, विवाह हुआ तब भी, नहीं हुआ तब भी, संतान है तब भी, नहीं है तब भी, बहुत कुछ है तो न खोने का तनाव, कुछ नहीं है तो पाने का तनाव। मन में प्रश्न यह उठता है कि क्या तनाव का physical existence है या यह एक छाया की तरह पूरी मानव जाति को निगलता जा रहा है। भले ही यह सवाल वैज्ञानिकों को तंग कर रहा हो कि डायनासोर इस पृथ्वी से कैसे लुप्त हुए परंतु मानव जाति का कभी अंत हुआ तो उसका कारण तनाव ही होगा। यदि तनाव को परिभाषित करने का प्रयास करें तो जो चित्र उभरता है वह यह है कि जब मनुष्य अपने आस-पास के माहौल से तारतम्य नहीं बैठा पाता तब तनावग्रस्त होता है।
तनाव से लडने के वैदिक उपाय :
1. चंद्र दर्शन : तनाव की जन्मस्थली हमारा मन है और मन का संबंघ “चद्रमा” से है। जन्मपत्रिका में जब चंद्रमा पर पापग्रहो का प्रभाव होता है तभी मन की शक्ति प्रतिकूल रूप से प्रभावित होती है। ऎसी स्थिति में व्यक्ति परिस्थितियों से घबरा जाता है, जो नहीं है, उसकी भी कल्पना करके खुद को ही प्रताडित करता है। ऎसी स्थिति में चंद्र दर्शन अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है। चन्द्रोदय के पश्चात् कुछ समय के लिए एकांत में बैठकर चंद्रमा को देखना चाहिए और उनसे प्रार्थना करनी चाहिए कि उनकी जिन रश्मियों के अभाव से मन व्याकुल है, वे उन रश्मियों की पूति करें और हमारे मन को मजबूती और स्थिरता प्रदान करें। ऎसा नियमित रूप से कुछ समय करने से बहुत लाभ मिलता है।
2. सूर्य नमस्कार : तनाव पर विजय पाने के लिए दूसरा आवश्यक तत्व है – “आत्म-विश्वास”। आत्मा के कारक सूर्य ही वह आत्मविश्वास दे सकते हैं जिससे व्यक्ति को यह यकीन हो कि वह हर परिस्थिति का सामना कर सकता है। एकमात्र इस विश्वास से ही तनाव रूपी महादानव का समूल अंत संभव है। जन्मपत्रिका में सूर्य कमजोर होने से व्यक्ति का आत्म-विश्वास डगमगा जाता है, हीन-भावना उसे घेर लेती है और घीरे-घीरे वह तनावग्रस्त हो जाता है।
सूर्य के संपूर्ण फलों को प्राप्त करने के लिए सूर्य नमस्कार सर्वाघिक कारगर उपाय है। एक से सवा माह के भीतर ही अपेक्षित परिणाम प्राप्त हो जाते हैं। यदि लंबे समय तक सूर्य नमस्कार नियमित किया जाए तो एक सुदृढ व्यक्तित्व प्राप्त किया जा सकता है। सूर्य रोजगार, सरकार, निरोग आदि के नैसर्गिक कारक हैं। सूर्य नमस्कार से इन क्षेत्रों में भी अच्छे परिणाम मिलते हैं। एक ओर जीवन की समस्याओं से जूझने की शक्ति बढती है तो दूसरी ओर समस्याओं की तीव्रता में कमी आती है।
गायत्री मंत्र का जाप : गायत्री मंत्र का संबंघ सूर्य से है। यदि नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप किया जाए तो चित्त को बल प्राप्त होता है और व्यक्ति कठिन समय मे विचलित नहीं होता। भारतीय परिवारों में बच्चों को गायत्री मंत्र तब ही सिखा दिया जाता है जब वह उसका मतलब भी नहीं समझते। कहने का तात्पर्य है कि मजबूत व्यक्तित्व के निर्माण मे गायत्री मंत्र अत्यन्त लाभदायक होता है। गायत्री मंत्र आत्मा की शुद्धि करता है, व्यक्ति में निष्पक्ष रूप से स्वयं का मूल्यांकन (Self Analysis) की क्षमता आती है, ये वो गुण हैं जो किसी भी समस्या से लडने की और परिस्थितियों को अपने पक्ष में करने की ताकत देते हैं।
“ऊँ” का उच्चारण : यह सिद्ध हो चुका है कि “ऊँ” के उच्चारण से ऋणात्मक ऊर्जा में कमी होती है और घनात्मक ऊर्जा बढती है। वेदों में “ऊँ” का संबंघ सूर्य और रोशनी से है। संस्कृत में “ऊँ” का अर्थ है – “हां”। अत: “ऊँ” के उच्चारण से मन की receptive power बढती है। इसीलिए सभी मंत्रों का आरंभ “ऊँ” से होता है।
रत्न: जन्म के समय सभी ग्रह अपनी रश्मियां देते हैं। पूर्व जन्म के कर्मो के आघार पर जिस ग्रह की रश्मि हमें कम प्राप्त होती हैं, उस ग्रह से संबंघित कारकत्व प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो जाते हैं। लग्नेश का संबंघ आत्मविश्वास और व्यक्तित्व से है इसलिए लग्नेश का रत्न अत्यघिक लाभदायक होता है।
इस प्रकार वैदिक उपायों को अपनाकर तनाव रूपी महादानव का सामना कर सकते हैं।
Watch Latest Wallpapers

2 विचार “स्ट्रेस मैनेजमेंट&rdquo पर;

एक उत्तर दें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s