दुनिया भर में फैल चुकी प्राणघाकत महामारे स्वाइन फ्लू से बचाव संभव है। यदि हम सभी थोडी सी सावघानी रखें तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। यदि फिर भी इस बीमारी के लक्षण दिखाई दे तो घबराएं नहीं क्योकि इसका इलाज संभव है।
लक्षण :
स्वाइन फ्लू के लक्षण यू तो सामान्य जुकाम जैसे ही होते है परंतु इससे 100 डिग्री तक की बुखार आती है, भूख कम हो जाती है और नाक से पानी बहता है। कुछ लोगों को गले में जलन, ऊल्टी और डायरिया भी हो जाता है। जिस किसी को भी स्वाइन फ्लू होता है। उसमें उपरोक्त लक्षणों में से कम से कम तीन लक्षण तो जरूर दिखाई देते है।
फ्लू और सामान्य सर्दी में भेद कैसे करे?
जब सामान्य सर्दी लगती है तो वह जल्द ही ठीक भी हो जाती है। लेकिन फ्लू होने पर वह जल्दी ठीक नहीं होता है और उसका प्रभाव अघिक घातक होता है। शरीर में कमजोरी आ जाती है। भूख नहीं लगती और बूखार आती-जाती रहती है। सरदर्द होता है और गले में जलन भी होती है।
1. सर्दी लगने पर बुखार अमुमन नहीं आती, परंतु स्वाइन फ्लू होने पर 100-102 डिग्री बुखार आम है।
2. सर्दी लगने पर सरदर्द और बदन दर्द कम ही होता है, परंतु स्वाइन फ्लू होने पर काफी सरदर्द होता है। और असहनीय बदनदर्द होता है।
3. सर्दी लगने पर कम कमजोरी आती है परंतु स्वाइन फ्लू से अत्यादिक कमजोरी महसूस होती है।
4. सर्दी होने पर नाक जाम हो जाती है परंतु स्वाइन फ्लू होने से नाक अमुमन जान नहीं होता है।
यह बीमारी कैसे फैलती है?
यह बीमारी इंसान से इंसान को लगती है, जब कोई स्वाइन फ्लू का मरीज छीकता है तो उसके आसपास 3 फीट की दूर तक खडे व्यक्तियों के शरीर में इस स्वाइन फ्लू का वाइरस प्रवेश कर जाता है। यदि कोई व्यक्ति अपने छींकते समय नाक को हाथ से ढक लेता है तो फिर यदि वह जहां कहीं भी उस हाथ को लगाता है (दरवाजे, खिडकियां, मेज, कीबोर्ड आदि) वहां यह वाइरस लग जाता है और फिर वहां से किसी अन्य व्यक्ति के हाथों पर लगकर शरीर में प्रवेश हो जाता है।
क्या सावघानी रखी जानी चाहिए?
1. छींकते समय टिस्यू पेपर से नाक को ढके और फिर उस पेपर से सावघानी से नष्ट कर दे, कचरे में फेंक दे।
2. अपने हाथों को लगतार साबुन से घोते रहे अपने घर के, ऑफिस के दरवाजों के हेडल, कीबोर्ड, मेज आदि साफ करते रहे।
3. यदि आपको जुकाम के लक्षण दिखाई दे तो घर से बाहर ना जाएं और दूसरों के नजदीक ना जाएं।
4. यदि आपको बुखार आई हो तो उसके ठीक होने के 24 घंटे बाद तक घर पर रहे। लगातार पानी पीते रहे ताकि डिहाडे्रशन ना हो।
5. संभव हो तो फेसमास्क पहने ले।
स्वाइन फ्लू होने पर क्या करे?
क्या आप अभी अभी विदेश यात्रा से आए है? अथवा क्या आप किसी ऎसे व्यक्ति के संपर्क में आए है जो विदेश से आया हो? अथवा आप किसी सार्वजनिक स्थान पर गए है जहां काफी भीड थी? तो अपनी तबियत पर गौर कों। यदि आपको बुखार लग रही हो, खॉसी आ रही हो, गले में जलन हो रही हो और सांस लेने में तकलीफ हो रही हो तो तत्काल अपने शहर के सरकारी अस्पताल में जाकर स्वाइन फ्लू की जांच कराएं।
हैल्पलाइन नंबर :
1. महामारी नियंत्रण कक्ष : 011-23921401
2. बंगलूरू : 080-22001490
3. हैदराबाद : 040-23814939
4. मुंबई : 022-23083901, 23091458
5. नई दिल्ली : 011-25652129
इलाज:
स्वाइन फ्लू का इलाज आम तौर पर संभव है। एंटीवायरल दवाओं जैसे कि oseltamivir (Tamifu) और Zanamivir (Relenza) का कोर्स करने से इस बीमारी से लडा जा सकजा है। ये दवाईयों इस वाइरस को फैलने और अपनी संख्या बढाने से रोकती है। यदि स्वाइन फ्लू होने 48 घंटो के भीतर इन दवाओं का उपयोग शुरू कर दिया जाए तो इनका अच्छा असर होता है। लेकिन ये दवाईयों चिकित्सकों के निरीक्षण में ही लनी होती है। इने कुछ साइड इफैक्ट भी है जैसे कि जी मचलाना,ऊल्टी बैचेनी आदि।
जिन्हे सबसे अघिक खतरा है: स्वाइन फ्लू ने उन लोगो को सबसे अघिक खतरा है जिन्हे-
1. सांस की बीमारी है जैसे कि दमा।
2. इसके अलावा जिन्हे ह्वदय की, यकृत की, न्यूरोलोजिकल बीमारी है।
3. जिन्हें मघुमेह है उन्हें भी काफी खतरा है।
4. इसके अलावा गर्भवती महिलाओ और 5 साल से कम आयु के बच्चों को भी काफी खतरा है।
10 अगस्त, 2009
नई दिल्ली, 10 अगस्त। दुनिया भर में फैल चुकी प्राणघाकत महामारे स्वाइन फ्लू से बचाव संभव है। यदि हम सभी थोडी सी सावघानी रखें तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। यदि फिर भी इस बीमारी के लक्षण दिखाई दे तो घबराएं नहीं क्योकि इसका इलाज संभव है।
लक्षण :
स्वाइन फ्लू के लक्षण यू तो सामान्य जुकाम जैसे ही होते है परंतु इससे 100 डिग्री तक की बुखार आती है, भूख कम हो जाती है और नाक से पानी बहता है। कुछ लोगों को गले में जलन, ऊल्टी और डायरिया भी हो जाता है। जिस किसी को भी स्वाइन फ्लू होता है। उसमें उपरोक्त लक्षणों में से कम से कम तीन लक्षण तो जरूर दिखाई देते है।
फ्लू और सामान्य सर्दी में भेद कैसे करे?
जब सामान्य सर्दी लगती है तो वह जल्द ही ठीक भी हो जाती है। लेकिन फ्लू होने पर वह जल्दी ठीक नहीं होता है और उसका प्रभाव अघिक घातक होता है। शरीर में कमजोरी आ जाती है। भूख नहीं लगती और बूखार आती-जाती रहती है। सरदर्द होता है और गले में जलन भी होती है।
1. सर्दी लगने पर बुखार अमुमन नहीं आती, परंतु स्वाइन फ्लू होने पर 100-102 डिग्री बुखार आम है।
2. सर्दी लगने पर सरदर्द और बदन दर्द कम ही होता है, परंतु स्वाइन फ्लू होने पर काफी सरदर्द होता है। और असहनीय बदनदर्द होता है।
3. सर्दी लगने पर कम कमजोरी आती है परंतु स्वाइन फ्लू से अत्यादिक कमजोरी महसूस होती है।
4. सर्दी होने पर नाक जाम हो जाती है परंतु स्वाइन फ्लू होने से नाक अमुमन जान नहीं होता है।
यह बीमारी कैसे फैलती है?
यह बीमारी इंसान से इंसान को लगती है, जब कोई स्वाइन फ्लू का मरीज छीकता है तो उसके आसपास 3 फीट की दूर तक खडे व्यक्तियों के शरीर में इस स्वाइन फ्लू का वाइरस प्रवेश कर जाता है। यदि कोई व्यक्ति अपने छींकते समय नाक को हाथ से ढक लेता है तो फिर यदि वह जहां कहीं भी उस हाथ को लगाता है (दरवाजे, खिडकियां, मेज, कीबोर्ड आदि) वहां यह वाइरस लग जाता है और फिर वहां से किसी अन्य व्यक्ति के हाथों पर लगकर शरीर में प्रवेश हो जाता है।
क्या सावघानी रखी जानी चाहिए?
1. छींकते समय टिस्यू पेपर से नाक को ढके और फिर उस पेपर से सावघानी से नष्ट कर दे, कचरे में फेंक दे।
2. अपने हाथों को लगतार साबुन से घोते रहे अपने घर के, ऑफिस के दरवाजों के हेडल, कीबोर्ड, मेज आदि साफ करते रहे।
3. यदि आपको जुकाम के लक्षण दिखाई दे तो घर से बाहर ना जाएं और दूसरों के नजदीक ना जाएं।
4. यदि आपको बुखार आई हो तो उसके ठीक होने के 24 घंटे बाद तक घर पर रहे। लगातार पानी पीते रहे ताकि डिहाडे्रशन ना हो।
5. संभव हो तो फेसमास्क पहने ले।
स्वाइन फ्लू होने पर क्या करे?
क्या आप अभी अभी विदेश यात्रा से आए है? अथवा क्या आप किसी ऎसे व्यक्ति के संपर्क में आए है जो विदेश से आया हो? अथवा आप किसी सार्वजनिक स्थान पर गए है जहां काफी भीड थी? तो अपनी तबियत पर गौर कों। यदि आपको बुखार लग रही हो, खॉसी आ रही हो, गले में जलन हो रही हो और सांस लेने में तकलीफ हो रही हो तो तत्काल अपने शहर के सरकारी अस्पताल में जाकर स्वाइन फ्लू की जांच कराएं।
हैल्पलाइन नंबर :
1. महामारी नियंत्रण कक्ष : 011-23921401
2. बंगलूरू : 080-22001490
3. हैदराबाद : 040-23814939
4. मुंबई : 022-23083901, 23091458
5. नई दिल्ली : 011-25652129
इलाज:
स्वाइन फ्लू का इलाज आम तौर पर संभव है। एंटीवायरल दवाओं जैसे कि oseltamivir (Tamifu) और Zanamivir (Relenza) का कोर्स करने से इस बीमारी से लडा जा सकजा है। ये दवाईयों इस वाइरस को फैलने और अपनी संख्या बढाने से रोकती है। यदि स्वाइन फ्लू होने 48 घंटो के भीतर इन दवाओं का उपयोग शुरू कर दिया जाए तो इनका अच्छा असर होता है। लेकिन ये दवाईयों चिकित्सकों के निरीक्षण में ही लनी होती है। इने कुछ साइड इफैक्ट भी है जैसे कि जी मचलाना,ऊल्टी बैचेनी आदि।
जिन्हे सबसे अघिक खतरा है: स्वाइन फ्लू ने उन लोगो को सबसे अघिक खतरा है जिन्हे-
1. सांस की बीमारी है जैसे कि दमा।
2. इसके अलावा जिन्हे ह्वदय की, यकृत की, न्यूरोलोजिकल बीमारी है।
3. जिन्हें मघुमेह है उन्हें भी काफी खतरा है।
4. इसके अलावा गर्भवती महिलाओ और 5 साल से कम आयु के बच्चों को भी काफी खतरा है।
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Acchi information hai, Pl ise update kar dijiye.
स्वाइन फ्लु के बारे मे जो बताया गया अच्छी सूचना हैं। लेकिन वर्षा ॠतु में जब इस प्रकार के फ्लु में शरीर का तापमान बिगडृ जाता हैं। आयुर्वेद मे इसका इलाज सर्वोत्म होता है जैसे गिलोय का रस पीने से या गिलोय सत 2 ग्राम शहद के साथ लेने पर किसी भी प्रकार का बुखार या सक्रंमण मे कारागार होता हैं। जिसे छींक बारबार आती हो उसे शुद्ध चवन्यप्राश सूबह शाम 1 चम्मच खाने से शरीर की रोगप्रतिरोधक तत्व बडृ जाती हैं छींक की समस्या लाभांवित होता हैं। दालचीनी, गोल मिर्च, तुलसी के पत्ते एवं लौंग का काढा पीने से सर्वप्रकार सर्दी जुकाम समाप्त होता हैं। 21 तूलसी 21 बेल डंठल सहित एवं 21 नीम पत्ते के रस पीया जाये तो शरीर में अच्छा रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ जाती यह कैंसर जैसे रोग में किया जाता हैं।